Menu
blogid : 18871 postid : 763262

बर्दाश्त की भी एक हद होती है!!

gaurav varshney
gaurav varshney
  • 28 Posts
  • 1 Comment

वे समझा रहे हैं कि असली प्यास संबंधों से बुझती है
हम बेवकूफ हैं कि पानी-पानी चिल्लाते हैं
वे हर तरह से हमे इंसानी बोटी का स्वाद बताना चाह रहे हैं
और हम पगलैटे हैं कि रोटी-रोटी चिल्लाते हैं!
वे इशारा कर रहें हैं कि बलात्कार का मजा ही अलग है
और हम बेवकूफ प्रेम-प्रेम चिल्ला रहे हैं!
वे कितने प्यार से कहते हैं कि जो तेरा है सो मेरा है
और हम नासमझ पूछने में लगे हैं हमारा है क्या-क्या?
वे समझा रहे हैं कि लूट का मजा ही कुछ और है
हम हैं कि हक-हक चिल्ला रहे हैं
वे बता रहे हैं कि इंसान के शिकार का मजा ही अलग है
हम नासमझ दर्द-दर्द चिल्ला रहे हैं
वे बार बार आत्म हत्या बताते हैं
हम हैं कि मानसिक शोषण चिल्लाते हैं
हम जानते हैं कि –
हद लूटने की नहीं होती
हद शोषण की भी नहीं होती
हद अन्याय की भी नहीं होती
हद मुंह भींचने और गर्दन दबाने की भी नहीं होती
हद आवाज कुचलने की भी नहीं होती
हद थर्ड डीग्री की भी नहीं होती
लेकिन हम बताना चाहते हैं कि –
चुप्पी की हद होती है
भूख की हद होती है
प्यास की हद होती है
रात-रात भर जागने की हद होती है
दर्द की हद होती है
जि़ल्लत की हद होती है
गुलामी की हद होती है
बर्दाश्त की भी एक हद होती है!!
-गौरव वार्ष्णेय “पागल”

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh